उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनाव की तैयारियां एक बार फिर तेज हो गई हैं। शासन ने पंचायती राज विभाग से सभी जिलों के पंचायत प्रतिनिधियों का आरक्षण ब्योरा मांगा है। इस रिपोर्ट के आधार पर ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायतों में सीटों का पुनर्गठन तय किया जाएगा।
आरक्षण तैयार करने की प्रक्रिया
पंचायती राज विभाग के अधिकारियों के अनुसार, आरक्षण का ब्योरा तैयार करने के लिए पिछले चुनावों के आंकड़े, जनगणना रिपोर्ट और जनसंख्या के नवीनतम अनुमान को आधार बनाया जा रहा है।विभाग ने जिला स्तरीय अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि आरक्षण संबंधित सभी आंकड़े एक निश्चित प्रारूप में शासन को भेजे जाएं, ताकि समय से अधिसूचना जारी की जा सके।
पिछली बार का आरक्षण आधार और नई संभावना
पिछले पंचायत चुनाव 2021 में 2011 की जनगणना को आधार बनाया गया था। अब 2025 के चुनावों में जनसंख्या में हुए बदलावों को ध्यान में रखते हुए सीटों का आरक्षण फिर से तय किया जाएगा। इससे कई ग्राम पंचायतों में महिला, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की सीटों में फेरबदल संभव है।
शासन की समयसीमा और तैयारियां
सूत्रों के अनुसार, शासन ने 15 दिनों के भीतर आरक्षण रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद पंचायती राज विभाग ड्राफ्ट तैयार करेगा, जिसे राज्य चुनाव आयोग को सौंपा जाएगा। आयोग इसके बाद चुनाव तिथि और आचार संहिता की घोषणा करेगा।अधिकारियों का कहना है कि शासन की प्राथमिकता पारदर्शी और संतुलित आरक्षण प्रणाली लागू करने की है, जिससे किसी वर्ग के साथ भेदभाव न हो।
राजनीतिक हलचलों में तेजी
आरक्षण प्रक्रिया शुरू होते ही जिलों में राजनीतिक गतिविधियां तेजी पकड़ चुकी हैं। संभावित उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय हो गए हैं।
आरक्षण के बदले स्वरूप के चलते कई पंचायतों में नए चेहरे उभरने की संभावना बन रही है।स्थानीय नेताओं का कहना है कि इस बार पंचायत चुनाव पहले से अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं क्योंकि आरक्षण परिवर्तन से सीटों की गतिशीलता बढ़ जाएगी।
महिलाओं को प्रतिनिधित्व बढ़ाने की दिशा
सरकार का प्रयास है कि इस बार पंचायत चुनाव में महिलाओं की भागीदारी और अधिक हो। इसके लिए महिला सीटों का प्रतिशत बढ़ाने की संभावना पर भी मंथन चल रहा है। यदि ऐसा हुआ, तो कई ग्राम पंचायतों में महिला उम्मीदवारों को महत्वपूर्ण भूमिका मिलेगी।
आरक्षण विवाद और समाधान की राह
बीते चुनावों में आरक्षण को लेकर कई जिलों में विवाद और याचिकाएँ दर्ज हुई थीं। इस बार शासन ने तैयारी के चरण में ही पारदर्शिता और जनसुनवाई की प्रक्रिया को शामिल करने का निर्णय लिया है। इससे आरक्षण सूची जारी होने से पहले ही आपत्तियों का निस्तारण किया जा सकेगा।
चुनावी प्रक्रिया का आगे का रोडमैप
आरक्षण रिपोर्ट के बाद अगला चरण वार्डवार निर्वाचन सूची का प्रकाशन होगा, जिसके बाद नामांकन, स्क्रूटनी और मतदान की प्रक्रिया शुरू होगी। माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव 2025 की प्रक्रिया फरवरी-मार्च तक पूरी हो सकती है।
पंचायत चुनाव न केवल ग्रामीण लोकतंत्र की नींव हैं, बल्कि शासन-प्रशासन की पारदर्शिता और विकास की दिशा तय करने का प्रमुख माध्यम भी हैं। आरक्षण प्रक्रिया के सटीक और न्यायपूर्ण होने से ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक संतुलन और जनभागीदारी में निखार आएगा।