खनऊ। उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए चल रही अटकलों पर 13 दिसंबर 2025 को विराम लग गया। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और महाराजगंज से सात बार के सांसद पंकज चौधरी ने लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में नामांकन दाखिल कर दिया। उनके प्रस्तावक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य रहे। चूंकि किसी अन्य ने नामांकन नहीं किया, इसलिए पंकज चौधरी का निर्विरोध चुना जाना तय हो गया। रविवार 14 दिसंबर को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल औपचारिक घोषणा करेंगे।
पंकज चौधरी का राजनीतिक सफर
पंकज चौधरी भाजपा के मजबूत ओबीसी नेता हैं। कुर्मी समुदाय से आने वाले चौधरी का जन्म 1964 में गोरखपुर में हुआ। उनके पिता भगवती प्रसाद चौधरी उद्योगपति थे, जबकि मां उज्ज्वल चौधरी महाराजगंज जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। राजनीति की शुरुआत 1989 में गोरखपुर नगर निगम पार्षद के रूप में हुई। 1990 में भाजपा जिला कार्यसमिति सदस्य बने।
1991 में पहली बार महाराजगंज से सांसद चुने गए। इसके बाद 1996, 1998, 2004, 2014, 2019 और 2024 में जीत दर्ज की। केवल 1999 और 2009 में हार मिली। मोदी सरकार में वित्त राज्य मंत्री हैं। 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके घर गए थे, जो उनके कद को दिखाता है। पूर्वांचल में उनकी मजबूत पकड़ है और कैडर में लोकप्रिय हैं।
कुर्मी चेहरे की ताजपोशी क्यों महत्वपूर्ण?
2024 लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा को झटका लगा। सपा के PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक)
फॉर्मूले से ओबीसी वोट खिसके। कुर्मी समुदाय (8-10% आबादी) पूर्वांचल, अवध और बुंदेलखंड में 40-50 सीटों पर प्रभावी है।
पंकज चौधरी को अध्यक्ष बनाकर भाजपा नॉन-यादव ओबीसी वोटों को एकजुट करना चाहती है।
यह 2027 विधानसभा चुनाव की बड़ी रणनीति है।
अपना दल (एस) से गठबंधन भी कुर्मी फोकस को मजबूत करता है।
पंकज चौधरी कुर्मी समाज से भाजपा के चौथे प्रदेश अध्यक्ष होंगे।
इससे पार्टी PDA का काउंटर करने की तैयारी कर रही है।
नामांकन में दिखी पार्टी की एकजुटता
नामांकन के समय पार्टी मुख्यालय में भारी जमावड़ा था। सीएम योगी,
उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक, संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह समेत कई नेता मौजूद रहे।