पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को नया नाम और नया रूप दे दिया है। 13 दिसंबर 2025 को मोदी कैबिनेट ने फैसला लिया कि मनरेगा अब ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ कहलाएगी। साथ ही, काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 कर दी गई है। अमर उजाला और दैनिक भास्कर की रिपोर्ट्स के अनुसार, यह बदलाव महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष और ग्रामीण रोजगार को मजबूत करने के लिए किया गया है। योजना से 5 करोड़ से ज्यादा परिवारों को लाभ मिलेगा। यह फैसला ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बूस्ट देगा और बेरोजगारी कम करेगा। इस ब्लॉग में हम इस नए फैसले की पूरी डिटेल्स, नाम बदलाव का कारण, काम के दिनों में बढ़ोतरी, लाभार्थी और ग्रामीण भारत पर प्रभाव बताएंगे। यदि आप ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं या मनरेगा से जुड़े हैं, तो ये अपडेट्स आपके लिए जरूरी हैं।
कैबिनेट का फैसला: मनरेगा का नया नाम और रूप
मोदी कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव पास हुआ। मुख्य बदलाव:
- नया नाम: पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना (Pujya Bapu Gramin Rojgar Yojana)।
- काम के दिन: 100 से बढ़ाकर 125 दिन प्रति वर्ष।
- बजट: 2025-26 में 1 लाख करोड़+ का प्रावधान।
- लागू: 1 अप्रैल 2026 से पूर्ण रूप से।
- उद्देश्य: महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि और ग्रामीण रोजगार मजबूत करना।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “बापू जी ने ग्रामीण भारत को मजबूत करने का सपना देखा था। यह योजना उसी सपने को साकार करेगी।”
नाम बदलाव का कारण: गांधी जी को श्रद्धांजलि
मनरेगा 2005 में शुरू हुई थी। अब गांधी जी की 150वीं जयंती वर्ष में नाम बदलकर ‘पूज्य बापू’ रखा गया है। सरकार ने कहा, “यह गांधी जी के ग्राम स्वराज के विचार को सम्मान देगा।” काम के दिनों में बढ़ोतरी से ग्रामीण परिवारों को अधिक आय मिलेगी।
काम के दिन 125: ग्रामीण परिवारों को बड़ा लाभ
- पहले: 100 दिन का रोजगार।
- अब: 125 दिन – 25 दिन अतिरिक्त।
- मजदूरी: 250-300 रुपये प्रति दिन (राज्य के अनुसार)।
- लाभ: सालाना 30,000-37,500 रुपये अतिरिक्त आय।
- 5 करोड़+ परिवारों को लाभ।
यह बढ़ोतरी सूखा, बाढ़ और बेरोजगारी के समय राहत देगी।
योजना का प्रभाव: ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ेगा।
- गांवों में इंफ्रा प्रोजेक्ट तेज होंगे।
- महिलाओं को 50% आरक्षण से सशक्तिकरण।
- यूपी, बिहार, राजस्थान जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा लाभ।