फिशरमैन वर्ल्ड न्यूज़ चैनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, हमारे पूर्वज प्राचीन समय में खपरैला घरों में निवास किया करते थे। खपरैला घर, जो मिट्टी और खपरैल (मिट्टी की टाइलें) से बने होते थे, भारतीय ग्रामीण संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। इन घरों को ठंडा रखने और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए डिज़ाइन किया जाता था। खपरैला घरों की बनावट स्थानीय संसाधनों से की जाती थी, जो न केवल सस्ता था बल्कि उस समय की जीवनशैली और प्राकृतिक परिस्थितियों के अनुसार बेहद उपयुक्त भी था।

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रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जैसे-जैसे समय बदला और शहरीकरण बढ़ा, इन पारंपरिक घरों की जगह कंक्रीट और सीमेंट से बने घरों ने ले ली। हालांकि, आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर खपरैला घर देखने को मिल जाते हैं, जो हमें हमारी सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं की याद दिलाते हैं।

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